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Thursday, June 18, 2020

उत्तरकाशी चीन बार्डर पर आईटीबीपी और सेना ने बढ़ाई गश्त भारत और चीन के बीच हो रहे तनाव को देखते हुए भारतीय सेना अलर्ट


उत्तरकाशी।।।।।लद्दाख में भारत चीन सीमा पर सैन्य झड़प के बाद चीन
से सटी उत्तरकाशी की नेलांग घाटी में आईटीबीपी और सेना की चहलकदमी बढ़ गई है।भारत और चीन के बीच में हो रहे तनाव को देखते हुए  आईटीबीपी और सेना ने सीमा से सटी चौकियों पर गश्त बढ़ा दी है। वहीं चीन द्वारा प्रस्तुत इस खतरे को देखते हुए गत मई अंतिम सप्ताह में लखनऊ से आये भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जेएस गुमन, लेफ्टिनेंट कर्नल राजेन्द्र प्रसाद और बिर्गेडियर सुभ्रमण्यम की एक टीम चीन सीमा से सटी  चिन्यालीसौड़ एयरपोर्ट का बारीकी से निरीक्षण करने के साथ ही हर्षिल में सेना के अधिकारियों के साथ  बैठक कर चुके है

वर्ष 1962 के युद्ध के बाद भारत-चीन सीमा पर स्थित उत्तरकाशी के राजस्व ग्राम नेलांग और जांदुग को खाली करा कर बगोरी व डुंडा शिफ्ट कर दिया था।  तब से नेलांग से 40 और जादुंग से 30 परिवार को बगोरी व डुंडा में ही निवास कर रहे हैं। पूर्व ग्राम प्रधान बगोरी भवान सिंह राणा ने बताया कि नेलांग व जादुंग में भोटिया परिवारों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं भेड़ पालन था। कहा कि नेलांग में उनकी 375.61 हेक्टेयर और जादुंग में 8.54 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि थी। जिस पर युद्ध के बाद आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) और सेना ने बंकर व कैंप स्थापित कर दिए। हालांकि, विस्थापित परिवार हर साल 2 जून  को चैन देवता, लाल देवता, ¨रगाली देवी व कुल देवता की पूजा के लिए नेलांग व जादुंग जाते हैं। जिसके लिए उन्हें गंगोत्री नेशनल पार्क व जिला प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है।

 वहीं दूसरी ओर वर्तमान ग्राम प्रधान बगोरी सरिता देवी व समाजिक कार्यकर्ता जगत सिंह रावत ने बताया कि बोर्डर पर सेना व आईटीबीपी ने पेट्रालिंग  बढ़ाई गई है। लेकिन जिले की चीन सीमा बेहद संवेदनशील है  हर्षिल व नेलांग घाटी में हालात शांतिपूर्ण है। कहा कि जब चीन ने 1962 में  लद्दाख बोर्डर पर हमला किया था। तो उस वक्त एहतियान के तौर पर  नेलांग व जादुंग गांव को खाली करा कर  आईटीबीपी और सेना ने  अपने बंकर व कैंप इन गांव में बना दिए थे।  

वहीं सेना के अधिकारी ले चुके हैं नेलांग व चिनयालीसौड़ हवाई पट्टी का जायजा 
उत्तरकाशी। भारत व चीन के बीच हो रही तनातनी को देखते हुए गत मई सप्ताह में भारतीय सेना के अधिकारी  लेफ्टिनेंट जनरल जेएस गुमान, लेफ्टिनेंट कर्नल राजेन्द्र प्रसाद और बिर्गेडियर सुभ्रमण्यम की एक टीम  चिन्यालीसौड़ एयरपोर्ट  का बारीकी से निरीक्षण कर चुकी है।  सूत्रों की माने तो भारतीय सेना चीन द्वारा प्रस्तुत खतरे से निपटने के लिए  तैयारी कर रही है, जिसके लिए  बरेली व सरसावा से उड़ने वाली उड़ानों में चिन्यालीसौड़ तक लगने वाले  लगभग 45 मिनट के समय को कम करने के लिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को बेस कैंप बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है। 
गौरतलब है कि  चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का वायुसेना लंबे समय से प्रयोग कर रही है। इस हवाई पट्टी से सेना चीन सीमा की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) महज 125 किलोमीटर है। ऐसे में चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी वायुसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पिछले साल वायुसेना ने यहां आपरेशन गगन शक्ति के तहत तीन दिन तक अभ्यास किया था। इसके अलावा वायुसेना के मालवाहक विमान एएन-32 की भी सफल लैंडिंग की गई थी। गत 23 मई को वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर ने यहां  उड़ान भरने और उतरने का अभ्यास किया था। 

रिपोर्ट-हेमकान्त नौटियाल

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