पहाड़ी क्षेत्रों के जंगलों में पाए जाने वाला फल काफल खाने का अलग ही आनंद है - PiyushTimes.com | Uttarkashi News

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Thursday, June 4, 2020

पहाड़ी क्षेत्रों के जंगलों में पाए जाने वाला फल काफल खाने का अलग ही आनंद है







आजकल उत्तरकाशी के जंगल   काफल के फलों से लदालद हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में क्या बड़ा क्या छोटा सभी लोग इस फल को खाना पसंद करते है ऐसे कई फल पहाड़ी जंगलों में पाए जाते है जो प्रकृति ने मनुष्य को वरदान रूप में दिए है  यहां तक टिहरी,नैनीताल, पौड़ी आदि जनपदों में छोटे-2 बच्चे या बड़े इस फल का  ब्यवसाय भी करते है काफल प्राकृतिक और आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर काफल के ताज़े फलों को खाने का मजा ही अलग है। समुद्रतल से 1500 मीटर से लेकर 2500 मीटर तक कि ऊँचाई में उगने व पाए जाने वाला काफल का वृक्ष पर्यावरण व पानी के प्राकृतिक जलश्रोतों को निरंतर बनाये रखने के लिए अति महत्वपूर्ण होता है। पहाड़ों के अधिकतर गाँव मे प्राकृतिक जलश्रोतों के जल का मूल स्रोत ये ही  काफल, बाँझ, बुराँश और भमोर के  मिश्रित जंगल होते हैं।।

लोकेंद्र सिंह बिष्ट प्रदेश संयोजक गंगा विचार मंच का कहना कि काफल, बाँझ, बुराँश और भमोर के मिश्रित जंगलों के जड़ियों का पानी  स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी व लाभप्रद भी होता है। सौभाग्यशाली होते हैं वे ग्रामीण जिनके गाँव के आसपास इन जंगलों के जड़ियों के पानी का स्रोत होता है।। काफल के पेड़ की छाल का प्रयोग चर्मशोधन (टैंनिंग) के लिए भी किया जाता है। काफल का फल गर्मी में शरीर को ठंडक प्रदान करता है। साथ ही इसके फल खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है एवं हृदय रोग, मधुमय रोग उच्च एंव निम्न रक्त चाप नियान्त्रित होता है।
काफल का वानस्पतिक नाम माईरिका इस्क्यूलेटा है।। यह मुख्यता हिमालय के तलहटी मैं होता है। दुनिया में वैज्ञानिकों से लेकर आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने इसे दवाई के लिए हमेशा इस्तेमाल किया है

रिपोर्ट-हेमकान्त नौटियाल

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