चिन्यालीसौड़-बलवीर बने बेरोजगारों के लिए नजीर,पिछले 2 सालों से कर रहे है सब्जी उत्पादन, सब्जी बेचकर लाखों का मुनाफा कमा रहा है बलबीर लाल - PiyushTimes.com | Uttarkashi News

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Thursday, July 2, 2020

चिन्यालीसौड़-बलवीर बने बेरोजगारों के लिए नजीर,पिछले 2 सालों से कर रहे है सब्जी उत्पादन, सब्जी बेचकर लाखों का मुनाफा कमा रहा है बलबीर लाल




उत्तरकाशी(चिन्यालीसौड़ )।।।।।।पढ लिखकर नौकरी की तलाश में बेरोजगार जहां शहरों में जाकर थोड़े से पैसे के लिये अपना घर-बार और खेत-खलिहान छोड़ पलायन कर देते हैं. वहीं एक शख्स ऐसा भी है जो अपनी रचनात्मक सोच और कृषि उद्यम से बेरोजगारों के लिये प्रेरणास्रोत तो बन ही रहा, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी हो रहा है.
जी हां ! ये कहानी बयां हो रही जनपद उत्तरकाशी के प्रखंड चिन्यालीसौड़ के बमणती गाँव के बलवीर लाल की ! 
मन में उमंग और कुछ हटकर करने की चाह हो तो इंसान के लिये कठिन राह भी आसान हो जाती है. बमणती गांव के सुपखेत तोक में बलवीर ने थोड़े से खेत लेकर सब्जी उगाना प्रारंभ किया . अपने निजी प्रयास से स्रोत से  खेतों तक पाइपलाइन पहुंचाई जिससे सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई. अपनी योजना के मुताबिक जैविक खाद से  सब्जियां उगानी शुरु की.उत्पादन अच्छा हुआ तो उत्साह और आत्मविश्वास बढा ! प्रारंभ में अनुभव की कमी महसूल हुई जो समय के साथ पूरा हुआ .कुछ कमियां कृषि विभाग के प्रशिक्षणों से दूर हुई कुछ खेतों में ही कार्य करते सीख मिली. विगत तीन वर्षों से बलवीर को मुनाफा मिलने लगा तो पूर्ण आत्मविश्वास से सब्जी उगाने लगे जिसका नतीजा है आज बलवीर प्रगतिशील कृषक की श्रेणी में खड़े हैं. बकौल बलवीर विगत वर्ष सब्जी से एक लाख साठ हजार का मुनाफा कमाया जो इस वर्ष अधिक होने की उम्मीद है. 


न धूप सताये दिन की उसे,
न काली रात डराती है,
डटा रहे हर मौसम में,
जब तक न फसल पक जाती है,
सूरज के उठने से पहले,
वो पहुंच खेत में जाता है,
उस किसान की खातिर तो,
ये धरा ही उसकी माता है,
पेट जो भरता लोगों का, 
मिट्टी से फसल उगाता है,
उस किसान की खातिर तो,
ये धरा ही  उसकी माता है.

बलवीर लाल की दिनचर्या है-सुबह उठकर खेतों में जाना, सिंचाई-निराई-गुड़ाई करना,दिन में स्थानीय बाजार और आसपास के गांवों में  सब्जी बेचना और शाम को फिर खेतों में जुट जाना. सब्जी ढुलान के लिये अपने पास अपना पालतू  घोड़ा और स्कूटी को उपयोग में लाते हैं. इस कार्य में परिवार के सदस्य भी खाली समय में उनका हाथ बंटाते हैं. विगत वर्षों के उत्पादन और व्यावसायिक लाभ के परिणामस्वरूप बलवीर आत्मविश्वास से लबरेज होकर कहते हैं," आगे भी मुझे और अधिक आमदनी की पूरी उम्मीद है. 
सब्जियों में प्याज, टमाटर, अदरक,लहसुन,शिमला मिर्च, भिंडी, तोरई, बैंगन, खीरा,छप्पन कद्दू, राई, और मूली उगाते हैं.  सब्जी के लिये उन्नत किस्म और प्रमाणिक बीजों की आवश्यकता होती है अतः विकासखंड नौगांव के निजी किसान सेवा केन्द्र से प्रमाणिक बीज खरीदते हैं  .बकौल बलवीर  सब्जी के मार्फत वह आज आत्मनिर्भर तो हो चुका है,  सब्जी उत्पादन में अपनी एक अलग पहचान भी कायम करना चाहता है . अपने उत्पादन को मार्केट उपलब्ध करने के लिए लिये वह स्वयं ही प्रयास करते हैं. स्थानीय कस्बों और गांवों को  ही बाजार बनाते हैं जिससे इनको विपणन की ज्यादा दिक्कत नहीं होती है.  शादी-पार्टियों में डिमांड के आधार पर भी वह घर-गांव तक सब्जी उपलब्ध कराते हैं. 
विगत चार महीनों से कोरोना महामारी के कारण जहां लोग अपने कारोबार से प्रभावित दिखाई दिये, प्रवासियों के रोजगार  छिन गये.  लोग हताश होकर रोजगार के लिये सरकारी सहायता के लिए टकटकी लगाये बैठे हैं वहीं बलवीर "लोकल का वोकल " बनकर उभरे हैं. लॉकडाउन से बेपरवाह अपने खेतों में सब्जी उगाने में व्यस्त और मस्त हैं. 
बकौल बलवीर पढाई में मन नहीं लगता था अतः मिडिल में पढाई छोड़ अपने भाई जगवीर के साथ कई वर्षों तक मिस्त्री काम भी किया. दिमाग में आर्गैनिक और इंटीग्रेटेड खेती करने का आइडिया आया. अतः गांव से थोड़ी दूर सुपखेत तोक में ग्रामीणों से17 नाली भूमि को खरीदकर एकीकृत कर एक चक बनाया और सब्जी उगाने का प्रयोग शुरु किया. प्रांरभ में अनुभव और प्रशिक्षण की कमी थी जिस कारण आशातीत सफलता  नहीं मिल पायी लेकिन समय के साथ ये पूरे होते गये. 
मत्स्य पालन विभाग की सहायता से दो टैंक बनाकर मछली पालन का कार्य शुरु किया. मछलियों की रोहू, कतला और ग्रासतार प्रजाति का पालन कर रहे हैं. मछली पालन के लिए विकासखंड और जनपद स्तर पर क्रमशः ₹10000/ और ₹ 25000/ की नगद धनराशि से एक-एक बार पुरस्कृत किये जा चुके हैं. 
आम किसानों की तरह ही बलवीर को भी खेतों में जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए घेर-बाड़ और सुरक्षा दीवार की दरकार है. फसल की जानवरों से सुरक्षा हेतु उनके पास एक सरनौली कुत्ता है लेकिन उचित घेर बाड़ के अभाव में रात को समस्या होती है. 
बागवानी में आड़ू की रेड जून और आम्रपाली प्रजाति के पौधे अपने खेतों में लगाये हैं जिनसे भविष्य में और आमदनी बढने की आशा है. 

क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं के लिये बलवीर संदेश भी देना चाहते हैं !  आज डिग्रियां लेकर युवा अपने गांव से शहरों में थोड़ी सी आमदनी के लिए पलायन करते हैं लेकिन हमेशा उनके मन में आर्थिक रूप से असुरक्षा की भावना  व्याप्त रहती है, बेरोजगार युवक अपने क्षेत्र में ही इसी प्रकार से रचनात्मक योजना बनाकर अपने भविष्य को उज्जवल बना सकते हैं.

रिपोर्ट-हेमकान्त नौटियाल/राजेंद्र सिंह रंगड़

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