उत्तरकाशी-पर्यावरण प्रेमी प्रताप सिंह पोखरियाल ने अस्सीगंगा घाटी के दूरस्थ गावों में पहुँचकर लोगों को रोजगार के लिए जड़ी बूटियों का महत्व समझाया। - PiyushTimes.com | Uttarkashi News

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Monday, October 19, 2020

उत्तरकाशी-पर्यावरण प्रेमी प्रताप सिंह पोखरियाल ने अस्सीगंगा घाटी के दूरस्थ गावों में पहुँचकर लोगों को रोजगार के लिए जड़ी बूटियों का महत्व समझाया।


 उत्तरकाशी-पर्यावरण प्रेमी प्रताप सिंह पोखरियाल  ने अस्सीगंगा घाटी के दूरस्थ गावों में पहुँचकर लोगों को रोजगार के लिए जड़ी बूटियों का महत्व समझाया।


उत्तरकाशी।।। पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल ने अस्सीगंगा के विभिन्न गाँवों में भ्रमण कर लोगों को एकजुट करके उन्हें पलायन रोकने के लिए रोजगार हेतु ढेरों बातें समझाई। सबसे पहले  पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल ने भंकोली में महिला मंगलदल को जड़ी बूटियों का महत्व समझाया  तत्पश्चात ग्राम ढासड़ा, अगोड़ा व नौगांव में पहुँचकर इन्होंने लोगों जड़ी बूटियों के बताया साथ ही  उपयोग के बारें में विस्तृत जानकारी भी साझा की।। पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों के गांवों से पलायन होना बहुत ही गंभीर समस्या व चिन्ता का विषय है लेकिन इस वैश्विक महामारी के प्रकोप के बाद तो कम से कम पलायन रोकने को ठोस पहल हेतु प्राथमिकता होनी चाहिए।


प्रताप पोखरियाल ने कहा कि पहाड़ से पलायन रोकने के लिए रोजगार, स्वास्थ्य शिक्षा के लिए व्यापक स्तर पर यदि उचित निराकरण नहीं होता है तो पलायन रोकना कठिन कार्य है। पहाडी क्षेत्रों  में जड़ी-बूटी की खेती को प्रोत्साहित किया जाना बेहद जरूरी है और यह भी समझना होगा कि कौनसी जगह किस उपज या वनस्पति के लिए उपयुक्त है और उसके संवर्धन के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। पारंपरिक कृषि को बढ़ावा देना भी आवश्यक है व गांवों से पलायन रोकने के लिए लघु-कुटीर धंधों, जड़ी बूटी पर आधारित खेती को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। तेज पत्ता, कुटकी, गिलोय, असीस, सालमपंजा, चूलू-खुबानी, नासपाती, जंगली फलों व बुरांस आदि वनस्पतियों से आय बढायी जा सकती है। और सब्जियों  का उत्पादन किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है। बादल फटने व अतिवृष्टि से जन-जीवन को हमेशा खतरा बना रहता है। इस खतरे के चलते भी कई लोग पलायन कर गये है। जंगलों जानवरों के द्वारा भी गाँवों की और आने से फसले चौपट हो जाती है इसके लिऐ वनों में घिंघोरू, मेलू, काफल, करौदा, किनगोड़ा, भमोरा जैसे जंगली फलो को उगाना होगा ताकि वन्य प्राणियों को जंगलों में ही भोजन मिल सके। पारिस्थितिकी पर्यटन को प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए।। 



इस अवसर पर प्रधान मुकेश पंवार, महिला मंगल दल अध्यक्ष  दीपमाला, दिनेश राणा, धनिराम सिंह रावत, दिनेश रावत, ममता रावत, हरीश खडूरी, कमलेश्वर खंडूरी, शिवराम सिंह पंवार, शिक्षक डाॅ. शम्भू प्रसाद नौटियाल आदि मौजूद थे।



रिपोर्ट-हेमकान्त नौटियाल


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