उत्तरकाशी-नचिकेता ताल में धूमधाम से मनाया गया बैशाखी मेला,पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नचिकेता ताल में है यम द्वार होने की कथा
उत्तरकाशी।।। नचिकेता ताल में बैशाखी मेला बड़े धूमधाम से मनाया गया। समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर की ऊंचाई पर घने जंगलों के बीच स्थित है नचिकेता ताल है बताते हैं कि बचपन मे ही नचिकेता ने जन्म और मृत्यु के भेद को जानने के लिए इस जगह पर तपस्या की थी। नचिकेता ताल में है यम द्वार होने की कथा है। कथाओं में नचिकेता और यमराज की कथा काफी प्रचलित है। इसमें जहां एक पिता द्वारा अपने पुत्र को यमराज को दान कर दिया गया था और नचिकेता निकल गए यमराज की खोज में इसके बाद जब वे यमराज से मिले तो नचिकेता की बातों से यमराज इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने स्वयं ही नचिकेता को मौत के रहस्य की पूरी जानकारी दी। मान्यता है कि इसी जगह पर यमराज ने नचिकेता के सामने मृत्यु के रहस्य को खोला था। बालक नचिकेता के मन में भी मृत्यु से जुड़े ऐसे कई सवाल थे, जिनका जवाब पाने के लिए वो खुद यमराज से मिलने चल पड़ा। वहीं मान्यता के अनुसार जनपद उत्तरकाशी के पास मौजूद नचिकेता ताल ही वो जगह है, जहां मृत्यु के रहस्य सुलझे थे। खुद यमराज ने धरती पर आकर बालक नचिकेता को मौत का रहस्य बताया था।शास्त्रों और पुराणों में लिखा गया है कि धरती पर नचिकेता ही एक ऐसे इंसान थे, जिन्हें मृत्यु के रहस्यों का पता चला था।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 27 किलोमीटर की दूरी पर चौरंगीखाल नाम की एक जगह है, जहां से 4 किलोमीटर की पैदल खड़ी चढ़ाई का रास्ता पार कर श्रद्धालु नचिकेता ताल पहुंचते हैं। नचिकेता ताल की खूबसूरती और आस-पास मौजूद हरियाली पर्यटकों का मन मोह लेती है। इस ताल को लेकर तरह-तरह की बातें प्रसिद्ध हैं ताल के पास से सुनाई देती हैं शंख और घंटों की आवाजें कहा जाता है कि आज भी इस ताल में देवी-देवता स्नान करने आते हैं। रात के समय ताल के पास से शंख और घंटों की आवाजें भी सुनाई देती हैं। ताल के पास मौजूद गुफा के बारे में भी कहा जाता है कि जो भी इस गुफा के भीतर जाता है, वो कभी वापस नहीं आता। यही नहीं इस जगह पर तपस्या से मंत्रसिद्धि भी जल्द मिलने की भी बात कही जाती है।
वहीं नचिकेता ताल मंदिर समितिन के तत्वावधान में प्रत्येक वर्ष की बैशाखी को सजता है नचिकेता ताल में मेला, जिसमे उत्तरकाशी के धनारी, बरसाली, बाड़ागड्डी, गाजणा पट्टी व टिहरी की रामोली, उपलि रामोली क्षेत्र के हजारों ग्रामीण इस मेले में अपनी देव डोलियों व ढोल बाजो के साथ शामिल होते हैं। ताल होने के बावजूद यहां पीने का पानी की बड़ी समस्या है। मेला समिति के अध्यक्ष अंकित पंवार ने कहा कि सरकार को यहां पीने के पानी व गेस्ट हाउस व मंदिर का निर्माण करना चाहिये।।मेले में शामिल हुए बीजेपी नेता लोकेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि चौरंगीखाल से नचिकेता ताल तक 4 किलोमीटर ट्रेक मार्ग को बेहतर बनाने व रेलिंग लगाने की जरूरत है। नचिकेता मेले में आज हरि महाराज की देव डोली, श्री नागराजा जी की देव डोली, चौरंगी नाथ की डोली, चदण नाग व दर्जनों देव ढोल शामिल हुए।
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