उत्तरकाशी-उत्तराखण्ड में एक तरफ वन आग से जल रहे जंगल तो दुसरी तरफ पेडों की हो रही हजामत ,जनपद के इस रेंज में पेड़ों की व्यावसायिक कटाई हो रही बडे पैमाने पर,शोशल मीडिया पर भी हो रही वायरल - PiyushTimes.com | Uttarkashi News

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Tuesday, April 20, 2021

उत्तरकाशी-उत्तराखण्ड में एक तरफ वन आग से जल रहे जंगल तो दुसरी तरफ पेडों की हो रही हजामत ,जनपद के इस रेंज में पेड़ों की व्यावसायिक कटाई हो रही बडे पैमाने पर,शोशल मीडिया पर भी हो रही वायरल

 उत्तरकाशी-उत्तराखण्ड में एक तरफ वन  आग से जल रहे  तो दुसरी तरफ पेडों की हो रही हजामत ,जनपद के इस रेंज में  पेड़ों की व्यावसायिक कटाई हो रही बडे पैमाने पर,मामला शोशल मीडिया पर भी हो रहा वायरल

उत्तरकाशी।।।। वन क्षेत्र में जब पेड सूख जाते हैं या टूटकर गिर जाते है तो इनके निस्तारण के लिये स्थानीय पंचायतो से राय- मशविरा करके वन विभाग के द्वारा वन निगम को टूटे व उखडे पेडों के स्लिपर बनाकर राजस्व के रूप में कमाई कर सकते हे। लेकिन यहां का नजारा तो विल्कुल भिन्न है। कोई भी गढवाल और कुमाॅउ के उॅचाई वाले वन क्षेत्र जैसे अंयारखाल, हरूता, वयाली, भिलंग गंगा और यमुना के जलग्रहण क्षेत्र और इसके सभी सहायक नदियों के सिरहाने की बची  जैव विविधता को देखने जायेगे तो हजारो हरे पेड काटकर जमीन में गिरे हुये मिलेगे या लकडी के ढेर लगे होगे। यदि इन्हे रातो-रात सडक मार्ग के द्वारा रायवाला या हल्द्वानी के डिपो में ट्रको में लादकर भेजा ना गया है, तो भी वहाॅ हरे पेडों के अवशेष गवाही दे रहे है। वन विभाग जब वन निगम को सूखे पेडों की कटाई व छंटाई करने की स्वीकृति देता हैं तो इसके संबंधित कार्यवाहियां पूरी पारदर्शिता में दिखाई देगी। परन्तु जमीनी हकीकत का वन विभाग तभी मुयावना करता है, जब जनता की ओर से विरोध के स्वर उठने लगते है। वहीं पर्यावरण विद सुरेश भाई का कहना है कि अन्यारखाल, चौरंगीखाल में हरे पेड़ों की अंधा धुंध कटाई हुई है।बड़े पैमाने पर पेड़ों की इस प्रकार की कटान करना वन विभाग पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है 

वहीं पेड़ों की  कटान का यह दृश्य शोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है 

वहीं सुरेश भाई का कहना है कि अब पेडो की कटाई आरी -कुल्हाडी से नही हो रही है। इसके स्थान पर कटर मशीन का इस्तेमाल हो रहा है। जिसके द्वारा एक ही दिन में दर्जनो पेड काटकर जमीन में गिराये जा सकते है। इसके कारण स्थिति ऐसी है कि विरोध करने वाले आन्दोलनकारी के जंगल में पहुॅचते-2 कई पेड कटर मशीन से काटे जा सकते है। जिसके बाद वन निगम का काम बहुत आसान हो जाता है। वे इसके 12-12 फीट के स्लिपर बनाकर जंगल के रास्ते से खच्चरो की पीठ में डालकर मोटर मार्ग तक पहुॅचा रहे है। जिसे बिना  किसी जाॅच पडताल के ट्रको में भरकर लकडी के डिपो तक पहॅुचाने में भी अधिक समय नही लग रहा है।  पेडो की कटाई का रास्ता साफ करने के लिये वनो में लग रही आग की महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि आग के कारण झुलसने वाली वन संपदा का कटान कोई नही रोक सकता है। इस नाम पर जंगल में जो हरे पेड होगे, वह भी कटर मशीन के चंगुल से नही बच पा रहे है।  देश के जिन राज्यों के जंगल हर वर्ष जल रहे है। वहाॅ पर एक निष्पक्ष न्यायिक जाॅच की जरूरत है। स्थानीय लोगो पर जंगल जलाने के आरोप भी लगते है। जिसके इने-गिने उदाहरण ही मिलते है। लेकिन हरे पेडो के कटान को सरल व सुगम बनाने का काम तो वनों में लग रही आग के कारण ही है। 

सुरेश भाई कहते है कि  उत्तराखण्ड में पिछले 30 वर्षो में लगभग 40 हजार हैक्टेयर जंगल आग के कारण स्वाह हुये है। इस बार भी लगभग 1500 हैक्टेयर जंगल जल गये है। कभी-कभी होने वाली बारिश के कारण ही आग पर नियंत्रण हो पाता है। और इससे कहीं अधिक लाखो पेडो का व्यावासायिक दोहन हो रहा है। उॅचाई की दुर्लभ वन प्रजाति राई, कैल, मुरैडा,देवदार, खर्सू,मौरू आदि के पेड इस अवैज्ञानिक दोहन के शिकार हो रहे है। इस व्यासायिक कटाई से पहाडो की रीढ कमजोर हो रही है। हर साल हो रहे वृक्षारोपण की एक पौध भी नही बच पा  रही है। वर्षात में भूस्खलन बढ रहा है, वन्य जीव, जडी बूटियाॅ समाप्त हो रही है। ऐसा लगता है कि वन कटान भी वनाग्नि का पर्याय बन गया है। 

पर्यावरण विद सुरेश भाई का कहना है कि पिछले कुछ रोज पूर्व भारी मात्रा में  वन कटान  की यह फोटो महिपाल नेगी  द्वारा ली गयी है  अभी उन्होंने टिहरी-उत्तरकाशी के अन्यारखाल, चौरंगी खाल आदि क्षेत्रों का भ्रमण किया है जहाँ पर हरे वनों का अँधा धुंध कटान हो रहा है उनके साथ अरण्य रंजन और साहब सिंह सजवान भी शामिल रहे हैं वहीं पर्यावरण विद सुरेश भाई का कहना है कि इस मामले पर मैंने राज्य सरकार को भी पेड़ों की कटाई पर शिकायती पत्र लिखा है और अब मैं केंद्र सरकार को एक पत्र लिख रहा हूँ वन कटान पर हमने भी वन विभाग के अधिकारियों से दूरभाष पर सम्पर्क करने की कोशिश की प्रभागीय वन अधिकारी ने फोन नहीं उठाया ,लेकिन रेंज अधिकारी प्रदीप बिष्ट  का कहना है कि अन्यारखाल,चौरंगीखाल में सूखे पेड़ों की कटाई हुई है जिसमे सूखे पेड़ों की कटाई में कुछ हरे पेड़ो को भी नुकसान पहुंचा है इसकी जांच के लिए उच्चस्तरीय टीम भी आई थी और मामले की जांच चल रही है  लेकिन तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा कि हरे पेड़ों की भी कटाई भी हुई है 



रिपोर्ट-सुरेश भाई/हेमकान्त नौटियाल

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