देहरादून-वनाग्नि की घटनाओं ने चिंतित है राज्य सरकार,केंद्र सरकार ने उपलब्ध कराए दो हेलिकॉप्टर, वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों की छुटियों पर रोक,मुख्यमंत्री ने राज्य के सम्बंधित अधिकारियों की ली समीक्षा बैठक
-:वनाग्नि पर रोकने के लिए केंद्र सरकार से मिले दो हेलीकाप्टर
-:मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री से किया था अनुरोध
-:वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक
देहरादून।।मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वनाग्नि की घटनाओं को अत्यंत गम्भीरता से लेते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा कर एक आपात बैठक आहूत कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बताया है कि प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दो हेलीकाप्टर उपलब्घ कराए गए हैं। इस संबंध में उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर वार्ता हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री ने हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया है। आवश्यकता होने पर एनडीआरएफ की टीमें भी उत्तराखंड में भेजी जाएंगी
एक हेलीकाप्टर गौचर में स्टेशन में रहेगा जो कि श्रीनगर से पानी लेगा। दूसरा हेलीकाप्टर हल्द्वानी में करेगा और भीमताल झील से पानी लेगा। राज्य के अघिकारी केंद्र सरकार के अधिकारियों के लगातार सम्पर्क में हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक लगा दी गई है। सभी अधिकारियेां और कर्मचारियों को अपने कार्यक्षेत्र में बने रहने को कहा गया है। प्रदेश भर में तैनात किए गए फायर वाॅचर को 24 घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि की वर्तमान स्थिति और इससे निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा बैठक लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं की सूचना कंट्रोल रूम को अविलम्ब मिलनी चाहिए और रेस्पोंस टाईम में कमी लाई जाए। वन पंचायतों सहित स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए परंतु इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चे और बुजुर्ग आग बुझाने के लिए न जाएं। लोगों को जागरूक किया जाए। इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। गांवों और रिहायशी इलाकों के आसपास झाडियां साफ की जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि से क्षति होने पर प्रभावितो को मानकों के अनुरूप मुआवजा जल्द से जल्द मिल जाना चाहिए। फील्ड स्तर पर गाड़ियों व उपकरणों की कमी नहीं होनी चाहिए। जहां जरूरी हो, वहां तत्काल बिना समय गंवाए इनकी व्यवस्था कर ली जाएं। कंट्रोल रूम की संख्या बढ़ाई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों का संरक्षण, उत्तराखण्डवासियों की परम्परा में है। परंतु कुछ शरारती तत्व जानबूझकर वनों में आग लगाते हैं। ऐसे तत्वों की पहचान कर कठोर कार्यवाही की जाए। सीएम ने कहा कि भविष्य में वनाग्नि की घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए एक दीर्घकालीक प्लान भी बनाया जाए और उसी के अनुरूप तैयारियां की जाएं। तहसील व ब्लाॅक स्तर तक कंट्रोल रूम और फायर स्टेशन स्थापित हों।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में इस वर्ष 983 घटनाएं हुई हैं। जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावति हुआ है। वर्तमान में 40 एक्टिव फायर चल रही है। नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल, उत्तरकाशी वनाग्नि से अधिक प्रभावित है। वनाग्नि को रोकने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हैं। 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं।
इस वर्चुअल बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अशोक कुमार, प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी, सचिव अमित नेगी, शैलेश बगोली, एस.ए.मुरूगेशन सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी और सभी जिलाधिकारी व डीएफओ उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment