"श्री शिव महापुराण" की पावन कथा कोई साधारण कथा नहीं, यह कथा जीवन जीने की कला सिखाती है - राष्ट्रीय संत आचार्य डॉ दुर्गेश महाराज - PiyushTimes.com | Uttarkashi News

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Sunday, August 29, 2021

"श्री शिव महापुराण" की पावन कथा कोई साधारण कथा नहीं, यह कथा जीवन जीने की कला सिखाती है - राष्ट्रीय संत आचार्य डॉ दुर्गेश महाराज

 "श्री शिव महापुराण" की पावन कथा कोई साधारण कथा नहीं, यह कथा जीवन जीने की कला सिखाती है - राष्ट्रीय संत  आचार्य डॉ दुर्गेश महाराज 




उत्तरकाशी।।भटवाडी विकासखंड के पट्टी बड़ागड्डी  क्षेत्र के आराध्य देव, (कार्तिकेय स्वामी) भगवान श्री  हरि महाराज के पावन सानिध्य मुस्टिक सौड़,  में आयोजित "श्री शिव महापुराण" कथा के तृतीय दिवस ब्रह्म ऋषि राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेश आचार्य महाराज जी ने कहा कि श्री शिव महापुराण की कथा कोई साधारण कथा नहीं है, अपितु यह जीवन विज्ञान को बताने वाली और जीव का मार्गदर्शन करने वाली कथा है।  आज भौतिकवाद के चकाचौंध के कारण मनुष्य अपने वास्तविक दिव्य स्वरूप को भूल गया है। जिस प्रकार एक हंस के बच्चे पर कीचड़ लगा है  और वह अपने श्वेत, दिव्य स्वरूप को भूल गया है अब  वह हंस का बच्चा स्वयं का स्वरूप भूलकर काले कौवों  के साथ रहता, खाता और  पीता  स्वयं को भी कौवा ही मान बैठा है  जैसे ही सतगुरु का दिव्य दर्शन प्राप्त हुआ सतगुरु ने उसे गंगा जल में स्नान करवाया और स्नान करते ही बाहर की  सारी गंदगी बह गई तब उसे अपना वास्तविक स्वरूप पता चला कि मैं  शुद्ध, बुद्ध और निरंजन परमात्मा का पुत्र हूं  मेरा इन  कौवों से कोई संबंध नहीं है  बिल्कुल उसी प्रकार मनुष्य के शरीर आवरण पर भी काम, क्रोध लोभ, मोह और अहंकार रूपी गंदगी लगी हुई है और मनुष्य यह सोचता है कि यही मेरा स्वरूप है लेकिन जैसे ही सतगुरु के सानिध्य में  "श्री शिव महापुराण "कथा सत्संग  श्रवण करता है वैसे ही काम क्रोध आदि विकार नष्ट हो जाते हैं और जीव को उसका निजानंद स्वरूप प्राप्त होता है।




परम पूज्य राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेश आचार्य महाराज जी ने कहा कि भगवान शिव ईशान के स्वामी हैं अर्थात" ईशान: सर्व विद्यानाम ईश्वर :  सर्व भूतानाम" अर्थात ईशान सभी विद्याओं के स्वामी हैं,  भगवान शिव की साधना करने वाला साधक,  विद्यार्जन करने वाला विद्यार्थी और  जो भी लोग अपने  स्वयं के  कार्य में सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो वह ईशान कोण( पूर्व व उत्तर के  मध्य का भाग) की तरफ बैठ करके  भगवान का ध्यान करें अति शीघ्र ही भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी और उनके कार्य सिद्ध होंगे। परम पूज्य राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेश आचार्य महाराज जी ने कहा कि यह कथा केवल बाड़ागड्डी क्षेत्र की नहीं, केवल उत्तरकाशी जनपद की नहीं अपितु संपूर्ण उत्तराखंड और भारत राष्ट्र के कल्याण सुख शांति समृद्धि के लिए आयोजित की गई है... कथा  में  संपूर्ण क्षेत्र की देव डोलिया भी आमंत्रित की गई है सैकड़ों भक्तों से पंडाल भरा हुआ है और श्रद्धालुओं के द्वारा श्री कथा श्रवण किया जा रहा है।



रिपोर्ट-हेमकान्त नौटियाल

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