उत्तरकाशी-भोटिया समुदाय के लोग नववर्ष के रूप में मनाते है लोसर का पर्व,आराध्य रिंगाली देवी की पूजा-अर्चना के बाद सम्पन्न हुआ लोसर पर्व
उत्तरकाशी।।जनपद में भारत-चीन सीमा से नेलांग एवं जाढ़ूंग गांव से विस्थापित होकर हर्षिल, बगोरी एवं डुंडा बीरपुर गांव में बसे भोटिया समुदाय के लोग लोसर पर्व को नववर्ष के रूप में मनाते है।डुंडा बीरपुर गाँव मे भोटिया जनजाति के लोग लोसर पर्व को तीन दिन तक बड़े हर्षोल्लास से मनाते है।साथ ही सभी की खुशहाली और समृद्धि के लिए अपनी आराध्य रिंगाली देवी की पूजा अर्चना भी करते है। लोसर पर्व में भोटिया जनजाति के लोगों में एक साथ दीपावली, होली,और नववर्ष मनाने की परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। तीन से चल रह लोसर मेले का आज समापन हुआ
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर डुंडा बीरपुर गाँव मे भोटिया समुदाय के लोग लोसर पर्व को तीन दिन तक मनाते है।भोटिया समुदाय के लोगों का कहना है कि हम लोगों का मुख़्य ब्यवसाय पशुपालन,भेड़ पालन है।चैत्र माह और बसन्त ऋतु की शुरुवात होने वाली है जब पेड़-पौधों पर नए आंकुर और जंगलों में घास उग जाता है तो हमारे पशुओं को घास चारा घास ठीक मात्रा मे मिलता है तो इसी खुशी पर हम भोटिया समुदाय के लोग लोसर पर्व को धूमधाम से मनाते है।
लोसर पर्व के पहले दिन भोटिया समुदाय के लोग चीड़ के छिल्लों से बनी मशालें जलाकर दीपावली मनाते है। ग्रामीण मशालों को गांव के तिराहे पर विसर्जित कर अपने आराध्य रिंगाली देवी से तमाम बुराइयों के अंत की कामना करते है।दूसरे दिन भोटिया समुदाय के लोग ध्याणियों(बहिनें ) को अपने घरों में बुलाते है और ध्याणियों का खूब स्वागत सत्कार करते है।भोटिया समुदाय लोग अंतिम दिन आज एकत्रित होकर भोटिया जनजाति की वेशभूषा में नृत्य करते हैं साथ ही अपनी आराध्य रिंगाली देवी की पूजा-अर्चना भी करते है और सभी लोग आटे की होली खेलते है एक दूसरे पर आटा लगाकर होली का उत्सव मनाते है और सभी को हरियाली भेंट कर सभी की खुशहाली की कामना करते हैं।
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