उत्तरकाशी-बर्फीले तूफान ने छीनी 26 जिंदगी, 4 शवों का जिला अस्पताल में हुआ पीएम , माउंट एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
उत्तरकाशी।। (ब्यूरो) जनपद में द्रौपदी डांडा-2में एवलांच हादसे में आज 4 शवों को डोकरानी एडवांस बेस कैंप से आर्मी के हेलीकॉप्टर के द्वारा हर्षिल हेलीपैड पर उतारे गए और वहां से बाय एंबुलेंस जिला अस्पताल लाए गए जहां चारों शवों का पोस्टमार्टम करने के बाद पुलिस के जवानों के द्वारा माउंट एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया जिसमें जिला प्रशासन, आर्मी के जवान एसडीआरएफ, एनडीआरएफ सहित परिजन और अन्य लोग मौजूद रहे।साथ ही चारों शवों को परिजनों के सपुर्त किया गया
अस्पताल में लाए गए चारों शव की शिनाख्त परिजनों के द्वारा की गई जिसमें दिवंगत प्रशिक्षक सविता कंसवाल, नवमी रावत, कुमाऊं के अल्मोड़ा जनपद निवासी अजय बिष्ट और हिमाचल शिमला निवासी शिवम कैंथोला के शव शामिल थे। वहीं नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी द्वारा जानकारी के अनुसार आज 7 डेड बॉडी ओर रिकवर हुई है अब तक कुल हादसे में 26 शव बरामद किए गए हैं जबकि 3 प्रशिक्षणार्थी अभी भी लापता है। जिनकी खोजबीन वायुसेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के अलावा जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग से mountainers की टीम द्वारा की जा रही है।
बर्फीले तूफान आने से तूफान ने 26 जिंदगियां छीन ली है। और अभी भी 3 लापता है। इनमें से दो प्रशिक्षक और 24 प्रशिक्षणार्थी जो देश के विभिन्न राज्यों से माउंटेनएरिंग का प्रशिक्षण लेने उत्तरकाशी आए थे। और एडवांस कोर्स के लिए द्रोपदी का डांडा-2 में एडवांस कोर्स का प्रशिक्षण ले रहे थे। कि अचानक बर्फीला तूफान आया और सभी को अपने आगोश में ले लिया। लेकिन दल में कुछ प्रशिक्षणार्थी ऐसे भी थे जो इस घटना में बच गए। और उन्होंने घटना की आपबीती बताई कि किस प्रकार से 2 घंटे तक बर्फ के अंदर जिंदगी और मौत के बीच लड़ते रहे। लेकिन कहते हैं ना कि ""जाको राखे साइयां मार सके ना कोई बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय"" गुजरात राज्य के दीप ठाकुर कहते हैं कि जीवन के वे 2 घंटे जब मैं पूरा बर्फ के अंदर डूबा हुआ था और जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा था कि अचानक देवदूत के रूप में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के एक प्रशिक्षक आए और उन्होंने मुझे ऊपर खींचा तब जाकर मैं बच पाया हूं। लेकिन दुख इस बात का है की हमारे साथी इस घटना में नहीं बच पाए। वही जब आज चार शव जिला अस्पताल पहुंचे तो अपने लोगों के शवों को देखकर परिजन रोते बिलखते रहे।
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