uttarkashi-ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज पहुंचे मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा (मुखीमठ) में,वर्षभऱ चलती है चारधाम यात्रा
उत्तरकाशी।।ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज शीत कालीन तीर्थ यात्रा के दूसरे दिन उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय पहुंचने पर स्थानीय लोगों एवम अन्य धार्मिक संगठनों से जुड़े लोगों के द्वारा भव्य स्वागत किया गया। जनपद मुख्यालय उजेली में स्थित संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि विश्वभर में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व होना चाहिए । सनातन धर्म के अनुसार ही बातों को आगे किया जाना चाहिए । शंकराचार्य, ऋषियो मुनियों ने जो संस्कृति शुरू की है, उसको हम आगे बढ़ा रहे हैं। सनातन धर्मबलंबियो से आग्रह करते हैं कहा कि वे शीतकाल में भी धामों की यात्रा करें। विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ राधे श्याम खंडूरी ने सम्मान पत्र पढ़ा। गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनिल बहुगुणा ने किया।
वहीं शीतकालीन यात्रा के तीसरे दिन सुबह ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज शीतकालीन प्रवास मुखवा पहुंचे। जहां पर मुखवा गांव के ग्रामीण एवं अन्य लोगों ने ज्योति पीठ के शंकराचार्य का भव्य स्वागत किया। मुखबा मुखीमठ में भी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चार धाम की यात्रा बंद नही होती है।बल्कि यात्रा पूरे वर्ष चलती रहती है सिर्फ शीतकाल में चारों धाम में बर्फ ज्यादा गिरने से छः माह के लिए मां गंगा,यमुना,बाबा भोलेनाथ,और बद्रीविशाल के दर्शन शीतकाल प्रवासों में होते हैं इसी प्रकार चारों धामों की यात्रा खुली है लेकिन शीतकाल प्रवास में भी दर्शन सकते हैं, इसी को लेकर अविमुक्तेश्वर महाराज ने कहा की हम मीडिया के माध्यम से देश -विदेश में संदेश देना चाहते हैं।कि चारधाम यात्रा शीतकाल और ग्रीष्मकाल में खुली रहती है। देश विदेश के तीर्थ यात्री शीतकाल में भी यात्रा कर सकते है जिसमे कोई बाध्यता नहीं है।
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल ने कहा कि शंकराचार्य जी की यह तीर्थ यात्रा उत्तराखंड राज्य के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। विश्वनाथ मंदिर के महंत अजय पूरी ने उत्तरकाशी के महत्व को बताया। ज्योतिर्मथ प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कहा कि जब शीतकालीन यात्रा की चर्चा होगी तो इस तीर्थ यात्रा का उल्लेख अवश्य होगा। चार धाम महापंचायत के महासचिव डॉ बृजेश सती ने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य ने आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व धामों में परम्परा प्रारम्भ की थी। ढाई हजार वर्ष बाद वर्तमान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने शीतकालीन यात्रा प्रारंभ कर नया अध्याय लिख दिया है।
No comments:
Post a Comment