उत्तरकाशी-द्रोपदी डांडा एवलांच की घटना से भी नहीं ले रही ट्रैकर एजेंसियां सबक,आखिर कौन है 9 ट्रेकरों की मौत का जिम्मेदार,क्या घटना की होगी मजिस्ट्रेटी जांच
उत्तरकाशी।।सहस्त्रताल कुश कल्याण ट्रेक पर बीते3- 4 जून को दुखद हादसा हो गया। जिसमें सहस्त्रताल पर गए कर्नाटक राज्य के 18 और महाराष्ट्र राज्य का 01 तथा 03 स्थानीय गाइड सहित 22 सदस्य दल सहस्त्रताल से वापसी करते समय ट्रैक रूट पर आई आंधी तूफान ,ओलावृष्टि और बर्फबारी के कारण ठंड से 9 ट्रैकरों की मौत हो गई जबकि इस घटना में वायु वीरों एवं जमीनी रेस्क्यू टीमो ने 13 लोगों को सुरक्षित बचाया। लेकिन लोगों का कहना है कि इस 22 सदस्यीय दल में अधिकांश लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 50 या उससे अधिक थी और सहस्त्रताल की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 14500 फीट है। जहां पर ऑक्सीजन की भी कमी होती है।ऐसे में अधिक उम्र के लोगों को वहां पर ले जाना क्या सुरक्षित है साथ ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम भी पल-पल भर में बदलता रहता है तो क्या बिना मौसम की जानकारी के इस दल को वहां भेजा गया , क्या सभी ट्रेकरों का मेडिकल करवाया गया और दूसरी सबसे बड़ी बात कि इस दल के साथ सिर्फ तीन स्थानीय गाइडों को ही भेजा गया जोकि अपने में बड़ी लापरवाही है बीते 2022 में द्रोपदी का डांडा एवलॉन्च की घटना से भी जनपद की ट्रैकर एजेंसियां सबक नहीं ले रही है। द्रौपदी डांडा एवलांच में 29 लोगो की मौत हो गई थी।जोकि बहुत बड़ी घटना थी।लापरवाही का खामियाजा ट्रेकरों को भुगतना पड़ पड़ता है।लापरवाही के कारण इस हादसे में 9 ट्रेकरों को अपनी जान गवानी पड़ी।अब सवाल कि क्या सहस्त्रताल ट्रेक रूट हादसे की मजिस्ट्रेट जांच होगी वहीं जानकारों कहना कि जिला प्रशासन को ट्रैकर एजेंसियों के लिए सख्त नियम बनाने चाहिए ताकि सुरक्षित ट्रैकिंग हो सके और भविष्य में लापरवाही के कारण कोई इस प्रकार की घटना न हो। सवाल अभी भी वही कि आखिर कौन है ट्रेकरों की मौत का जिम्मेदार?टेर्किंग एजेंसी या फिर ट्रैकिंग की अनुमति देने वाला विभाग
बताते चले की 29 मई को 22 सदस्य ट्रेकरों का दल एक प्राइवेट ट्रैकर एजेंसी के माध्यम से सहस्त्रताल के लिए रवाना हुआ और इस दल को सहस्त्रताल समिट कर 7 जून को वापस मनेरी आना था। लेकिन ट्रैक रूट पर हुए अचानक आंधी तूफान, ओलावृष्टि ,बर्फबारी के कारण ट्रैकर रास्ता भटक गए। जिला प्रशासन ,आपदा प्रबंधन विभाग को जब घटना की जानकारी मिली तो तत्काल जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाई और सहस्त्रताल ट्रेक रूट पर फंसे ट्रेकरों के रेस्क्यू के लिए तमाम एक्सपर्ट रेस्क्यू एजेंसियों को रेस्क्यू कार्य के लिए रवाना किया गया वायु सेना से भी मदद मांगी गई वायु सेना के चेतक हेलीकॉप्टर ,जमीनी स्तर पर लगी रेस्क्यू टीमों ने रेस्क्यू कार्य में तेजी लाई और 13 लोगों को सुरक्षित बचाया लेकिन फिर भी इस घटना में 09 लोगों की मृत्यु हो गई। सभी मृतक कर्नाटक राज्य के रहने वाले थे।रेस्क्यू टीमों की तत्परता के कारण कुछ घण्टों में ही इस रेस्क्यू कार्य को समाप्त किया गया और सभी को । सुरक्षित ट्रैकरो एवं मृतकों को हेलीपैड से एयर लिफ्ट कर जॉली ग्रांट अस्पताल भेजा गया।
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