उत्तरकाशी-जनपद के ठांडी गांव में तीन दिवसीय पौराणिक "भेडू कू तमाशू" मेले का हुआ समापन,कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा क्षेत्र के लोगों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को पौराणिक मेले के रूप में रखा है जीवित
उत्तरकाशी।। जनपद के विकासखंड डुंडा गाजणा पट्टी के ठांडी गांव में त्रिवार्षिक "भेडू कू तमाशू" मेले के तीसरे दिन हरिमहाराज, बोलिया राजा, कालीनाग, ओणेश्वर, ज्वालपा माता, दुधयाड़ी देवी, नन्दा देवी, भद्रकाली, गुरू चौंरंगीनाथ की देव डोलियां पहुंची। इसके बाद भेड़ पालक अपनी भेड़-बकरियों को लेकर गांव आए। सबसे पहले भेड़ों की ऊन की कटाई की गई। इसके बाद भेड़ों को गांव तथा मंदिर के चारों ओर परिक्रमा करवाई गई इस मौके पर गाजणा पट्टी के ग्रामीणों ने देवताओं से क्षेत्र की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना के लिए आशीर्वाद मांगा। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा बतौर मुख्य अतिथि मेले में सम्मिलित हुए उनके साथ गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि है कि मेले हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के जीवंत प्रतीक हैं और उत्तरकाशी जिले के सुदूर डांडी-कमद क्षेत्र के लोगों ने अपनी ‘भेड़ू कू तमाशू‘ जैसी परंपरा के जरिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर रखा हैै वह सराहनीय और अनुकरणीय है।प्रदेश के पशुपालन, दुग्ध विकास, मत्स्य पालन,गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, प्रोटोकॉल, कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री सौरभ बहुगुणा गाजणा क्षेत्र के दूरस्थ ठांडी गांव में आयोजित पशुपालन की समृद्ध पंरपरा एवं संस्कृति से जुड़े है सौरभ बुहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप उत्तराखंड को देश का अग्रणी विकसित राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्धता से काम काम रही है। राज्यवासियों की सुख-शांति और समृद्धि सरकार के द्वारा ऐतिहासिक कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकास व रोजगार सृजन के मोर्चों पर सरकार ने अभूतपूर्व काम किए हैं। पशुपालन जैसे परंपरागत क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ताकि गांवों को खुशहाल और आत्मनिर्भर बनाया जा सके। श्री बहुगुणा ने कहा कि भेड़-बकरी पालन को बढावा देने के लिए सरकार के द्वारा गोट वैली योजना संचालित कर पांच बकरी खरीदने वाले लाभार्थी को सरकार के द्वारा दस बकरी एवं एक बकरा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। इसी तरह नस्ल सुधार के लिए आस्ट्रेलिया से आयातित नर मेरिनो भेड़ भेड़पालकों को 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराई जा रही है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को 90 प्रतिशत अनुदान पर दस-दस भेड़ उपलब्ध कराने की योजना चलाई जा रही है। इसी तरह के अनेक योजनाओं के जरिए भेड़-बकरी पालन के क्षेत्र में विद्यमान संभावनाओं को साकार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सौरभ बहुगुणा ने कहा कि गाजणा पट्टी के ठांडी-कमद क्षेत्र में पशुपालन की समृद्ध परंपरा को सहेजने के साथ ही सांस्कृतिक विरासत को बचाकर रखा है। ऐसे प्रयासों को सरकार पूरा प्रोत्साहन व संरक्षण प्रदान करेगी।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि विधायक गंगोत्री सुरेश चौहान ने अपने संबोधन कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य तेजी से विकास की ओर अग्रसर है। सरकार ने उत्तरकाशी जनपद व गाजणा क्षेत्र के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिसका लाभ दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ‘भेड़ू कू तमाशू‘ जैसे पारंपरिक आयोजन हमें अपनी विरासत से जोड़े रखते हैं। विधायक चौहान ने कहा कि इस मेले के संरक्षण के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।
कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष सत्येन्द्र राणा, मुख्यमंत्री के जनसंपर्क अधिकारी किशोर भट्ट, ब्लॉक प्रमुख डुंडा शैलेन्द्र कोहली, ब्लॉक प्रमुख भटवाड़ी विनीता रावत, रोशन लाल सेमवाल, विजय बडोनी, सुकेश नौटियाल, डॉ.सीपी भट्ट, कमल किशोर जोशी, मेला समिति के अध्यक्ष प्रमोद डबोला, संयोजक उत्तम गुसांईं सहित क्षेत्र के तमाम जन-प्रतिनिधि व गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। जनपद के गाजणा पट्टी के दूरस्थ ठांडी गांव के बौल्याधार में बहुप्रसिद्ध पारंपरिक मेला ‘भेड़ू कू तमाशू‘ (भेंड़ों का उत्सव) का आयोजन हर तीसरे वर्ष होता है। लोक देवता बौल्यानाग, हरि महाराज तथा अन्य लोक देवताओं की डोलियों व धार्मिक प्रतीकों के सानिध्य में इस आयोजन में पशुधन की समृद्धि और लोक मंगल की कामना करते हुए पूजा-अर्चना करने के साथ ही बुग्यालों से लौटी हजारों भेंड़ों के झुंडों के साथ पशुचारकों द्वारा बौल्याधार स्थित मंदिर परिसर की परिक्रमा की जाती है। आज भी मेले के समापन पर हजारों भेड़ों के साथ यह अनूठी परंपरा निभाई गई। पशुपालन मंत्री ने इस मौके पर भेड़ों की आगवानी करने के साथ ही मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस मौके पर देव डोलियों व निशानों के नृत्य के साथ ही पारंपरिक लोकनृत्यों का आयोजन भी किया गया। जिले के गाजणा, धनारी व नाल्ड कूठड़ पट्टी के गांवों के साथ ही टिहरी जिले के थाती कठूड़, आरगढ, गोनगड, उपली रमोली आदि पट्टियों के हजारों ग्रामीण इस मेले में भाग लेने के लिए पहॅुंचे थे।
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