उत्तरकाशी-मकर संक्रांति पर्व पर सात दिवसीय पौराणिक माघ मेले का हुआ आगाज, क्षेत्र के आराध्य कंडार देवता और हरि महाराज के ढोल ने किया मेले का शुभारंभ
उत्तरकाशी।।। जनपद के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में मकर संक्रांति पर पौराणिक माघ मेले (बाड़ाहाट का थौलू) का रंगारंग आगाज हुआ। कंडार देवता की डोली व हरि महाराज के ढोल की मौजूदगी में जिलाधिकारी डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट,पुलिस अधीक्षक सरिता डोबाल , मेला प्रशासक मुख्य विकास अधिकारी,अपर जिलाधिकारी पीएल शाह सहित जनपद के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में पौराणिक माघ मेले का जिलाधिकारी ने रिवन काटकर उद्घाटन किया।उसके बाद जिलाधिकारी ने दीप प्रज्वलित किया और फिर माघ मेले का शुभारंभ हुआ।यह पौराणिक माघ मेला आगामी 7 दिनों तक चलेगा।वहीं स्कूली छात्र-छात्राओं ने अतिथियों के स्वागत में स्वागत नृत्य कर सबका मन मोह लिया। पाटा-संगराली-बग्याल गांव, मांडौ सहित बाड़ागड़ी व बाड़ाहाट क्षेत्र के विभिन्न गांवों के लोगों ने रासो नृत्य एवं पांडव नृत्य की प्रस्तुति देकर माघ मेला के अवसर पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला का आगाज किया।
नगर निकाय चुनाव के कारण आदर्श आचार संहिता लगी हुई है इसलिए मेले की जिम्मेदारी एक दर्जन से भी ज्यादा अधिकारियों को दी गई है।मेला प्रशासक मुख्य विकास अधिकारी को बनाया गया है।मेले को लेकर स्थानीय लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। यह मेला हमारी आस्था के साथ लोक परंपराओं से जुड़ा हुआ है। आगामी 7 दिनों तक माघ मेले में विभिन्न सांस्कृतिक चित्रकला, पेंटिंग,खेलकूद आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।माघ मेले का भारत-तिब्बत व्यापार से पुराना संबंध रहा है।बताया जाता है कि भारत-चीन युद्ध से पूर्व तिब्बत के व्यापारी बाड़ाहाट के चमाला की चौरी में ऊन सहित अन्य सामान बेचने के लिए लाते थे। वो लोग यहां से नमक लेकर तिब्बत जाते थे। तिब्बती लोग याक पर अपना सामान यहां लाते थे। धीरे-धीरे इस व्यापार ने मेले का रूप लिया और यह मेला आज जनपद की सांस्कृतिक पौराणिक परंपराओं का मुख्य केंद्र बना है। जिसको लोग पौराणिक माघ मेले के रूप में मनाते हैं।
माघ मेले में भाग लेने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में देव डालियां पहुंची, गंगा नदी में मकर संक्रांति पर्व स्नान करने के बाद कंडार देवता व हरि महाराज सहित अनेक देवडोलियों के साथ स्थानीय ग्रामीणों ने बाड़ाहाट (उत्तरकाशी नगर का पुरातन क्षेत्र) स्थित चमाला की चौंरी पर पहॅुचकर डोलीनृत्य व रासो-तांदी नृत्य कर बाड़ाहाट के थौलू (मेला) की अनूठी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की छटा बिखेरी। माघ मेला उद्घाटन के अवसर पर मेला पांडाल में घण्डियाल देवता, खंडद्वारी देवी, राज-राजेश्वरी देवी, त्रिपुरा सुंदरी व दक्षिण काली सहित आदि देव डोलियां उपस्थिति रही।वहीं चिन्यालीसौड़ से आई देव डोली मां राजराजेश्वरी त्रिपुरा सुंदरी और उनके पसवा के द्वारा माघ मेला मंच पर देव शक्ति का चमत्कार दिखाया गया मंच पर चावलों को गीला कर उसमें कुछ ही मिनट में हरियाली उगा दी तो इसको हम देव शक्ति ही कह सकते हैं मां राजराजेश्वरी के पसवा का कहना है कि चावलों से हरियाली कैसे आई यह तो सब मां भगवती की शक्ति है लेकिन यह माघ मेला हमारी पौराणिक संस्कृति और धरोहर है जिसको संजोए रखना हमारा परम कर्तव्य है।
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